Pages

Thursday, 7 July 2016

सर्वोच्च भाव - क्षमा

क्षमा के है अनूठे रंग,
कभी खट्टे कभी मीठे और कभी है  बेरंग,
क्षमा किसी के लिए जैसे जंग, 
और किसी के लिए भावनाओं की तरंग । 

अनेक रंगों मे होते क्षमा के दर्शन,
क्रिया मे आती जब मन करता दिमाग पे शासन,
निष्ठुरता से ही हृदय दे पाता  क्षमा दान,
अन्यथा यह बन जाता औपचारिकता का बखान । 

कभी क्षमा करना रह जाता एकल विकल्प,
कभी क्षमा करके भी न भूले जाते कई तर्क,
कई विचारों को बदलने मे है सक्षम,
 बस हो इस ओर हर कदम मे सच्चा परिश्रम । 

कोई क्षमा देके बनता बड़ा महान,
कोई माँग के पाता अति सम्मान,
यह है सच्चे दिलों का मिलन,
बस सही समय का होना चाहिए चयन । 

क्षमा मे होती शक्ति अपार,
हर दिल मे संजो दे प्यार,
निस्वार्थ मन मे बसे यह भाव,
 समस्त लोको का यह प्रिय स्वभाव । 


@सोनल 





4 comments:

Your each word matters! So drop a word or two :)